” स्वस्थ रहने का मूल मंत्र “

पुण पूर्व परिवहन का एक मात्र साधन हमारे पाँव ही थे   और पाँव के ज़रिये ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक का सफर तय किया जाता था  ! फिर आधुनिकता के साथ— साथ इंसान के पाँवों को आराम मिलने लगा  ! एक सीमा तक तो यह आराम सही था  , मगर आज हालात यह हैं कि लोग कुछ कदम भी पैदल चलना पसंद नहीं करते हैं और नंगे पाँव तो बिलकुल नहीं  ! जबकि हरी नरम घास पर नंगे पाँव चलना, आँखों सहित    पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है  !

अब तो विदेशों में भी बिना फुटवियर के ही पैदल चलने का चलन सा चल पड़ा है  ! सभी जैन साधु संत नंगे पांव ही आज भी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते हैं  ! और अपने जीवन में लगभग पूरे भारत का ही भ्रमण कर लेते हैं  ! पाँव ही जीवन भर हमारे पूरे शरीर का भार उठाते हैं और जो जितना इन पाँवों का उपयोग करता है  ! वह उतना ही अधिक स्वस्थ रहता है  !

स्नान से पूर्व पाँवों को रगड़ना पूरे शरीर को एक्यूप्रेशर के बिंदुओं को गतिमान कर देता है  ! यदि आपके पैर चमक रहे हैं तो आपका चेहरा भी चमकेगा  ! स्वस्थ रहने का मूल मंत्र यही है कि व्यक्ति को यथा संभव अधिकाधिक पैदल चलना चाहिए  और यदि ज्यादा ना हो सके तो कम से कम 02  किलोमीटर तो पैदल टहलना ही चाहिए  ! इससे स्वस्थ रहने के साथ– साथ व्यक्ति गतिशील एवं सक्रिय हो जाता है  !  प्रातः मार्निंग वाक करने से सवेरे की ताजी हवा मिलती है और व्यक्ति ज्यादा आक्सीजन मिलने से बिलकुल तरोताजा हो जाता है  ! इसलिए प्रातः काल टहलने की आदत अवश्य ही  डालनी चाहिए  !

 

——– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार   !