सार्वजनिक जीवन में आजकल लोग रिजर्व रहना ही पसंद करते हैं ! यह बात अलग है कि अगर अपना मतलब निकालना हो तो सामने वाले को प्रभावित करने के सारे उपाय कर डालेंगे , लेकिन किसी व्यक्ति की अकारण मदद नहीं करते हैं ! हाँ, जिसे जिन्दगी में शान्ति की तलाश हो या जिन्हें आंतरिक प्रसन्नता या आनंद चाहिये , उन्हें अकारण मदद करने की ओर अग्रसर होना पड़ेगा !
आप कहीं भी जा रहे हों और आपके पास समय हो एवं कोई अनजान व्यक्ति आपको उदास दिखता है तो एक बार उससे जरूर बात कीजिये ! उसका हाल जरूर जानिए ! यदि हो सके तो कुछ सहायता कीजिये और सम्भव ना हो तो कम से कम सांत्वना अवश्य दीजिये ! सफ़र के दौरान आपको लगे कि कोई अपना सामान नहीं उठा पा रहा है तो थोड़ी उसकी मदद कर दीजिये ! सफर में किसी के पास बैठने की जगह नहीं है और आप यदि आप उसके बैठने में मदद करते हैं तो वह दिल से कितनी दुआएं आपको देगा !
अजनबी व्यक्ति के लिए आगे बढ़कर अपनापन महसूस कराना, आंतरिक प्रसन्नता का एक बड़ा स्रोत, बन जाता है ! हमारे यहाँ दो प्रमुख अवतार हुए हैं—- श्री राम और श्री कृष्ण ! ये दोनों अवतार नीति और प्रीति एक साथ चलाते थे ! इन दोनों को यह कला आती थी कि सामने वाले के मन में क्या अपेक्षा है और वे तुरंत ही उसकी पूर्ति कर देते थे !
वे तो अवतारी महापुरुष थे ! कोई इंसान भी यदि मन, वचन, कर्म में एकरूप हो जाए तो सामने वाले के विचारों को बहुत आसानी से पढ़ सकता है और उसी के मुताबिक उसकी मदद कर सकता है ! यदि आपको मौका मिलता है और आपको लगता है कि किसी के घर में कोई परेशानी है और वह अपने स्वभाव– वश या संकोचवश कह नहीं पा रहा है तो आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार , उसकी मदद करने का प्रयास कीजिये ! आप देखेंगे कि किसी की अकारण या बिना किसी स्वार्थ के मदद करने से जो आपको आंतरिक खुशी या प्रसन्नता मिलेगी , उसका शब्दों से वर्णन नहीं हो सकता ! इस आंतरिक आनंद को केवल अनुभव ही किया जा सकता है !
———- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार , पुणे !