धर्म और अध्यात्म की दुनिया में यह सवाल बहुत पूँछा जाता है कि मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य क्या है ? अब इसका उत्तर जानने के लिए पहले यह समझना होगा कि मनुष्य जीवन का महत्व क्या है ? जब हम मनुष्य जीवन का महत्व समझ जायेंगे तो मनुष्य जीवन का सच्चा उद्देश्य जानना आसान हो जायेगा ! मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा महत्व यह है कि हम अपनी आत्मा को अनुभव कर सकते हैं ! पशुओं के पास यह अवसर नहीं हैं ! सबसे पहले यह जान लेना आवश्यक है कि हम स्वभाव रूप से आत्मा हैं और इस शरीर में हैं और यही जब हम खुद को पहचानने का प्रयास करेंगे तो अपने आत्म स्वरूप की ओर चलना पड़ेगा ! यह शरीर तो एक बाहरी आवरण है !
गोस्वामी तुलसीदास जी ने अयोध्या का वर्णन करते हुए लिखा है कि अयोध्या श्री राम के राज्य में इतनी सुन्दर सजी रहती थी कि जिसे देखकर श्रेष्ठ मुनियों के मन भी नाच उठते थे ! ” महि बहु रंग रचित गच काँचा, जो बिलोकि मुनिवर मन नाचा ! यह मन दो ही स्थितियों में नाचता है ! जब यह आसक्ति में डूबा हो , तब इस मन का नृत्य देखने वाला होता है और जब विरक्त की दशा हो , तब भी मन का नाच सुदर्शनीय हो जाता है ! इस शरीर के भीतर जो मन है ! वही हमें आत्मा तक नहीं पहुँचने देता है ! इसलिए हमें इस शरीर को अयोध्या की तरह सद्गुणों से सजाना होगा और रामलला की स्थापना अपने हृदय में करनी होगी ! तभी हम अपने आत्मस्वरूप को अनुभव कर सकते हैं और तभी हम जान पाएंगे कि मनुष्य जीवन जीने का सच्चा उद्देश्य क्या है ?
————— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे !