पर्यटन चाहे धार्मिक स्थलों का हो या प्राकृतिक संपदाओं का हो ! इससे न केवल स्थानीय संस्कृति को जानने का मौका मिलता है , बल्कि रोजगार के साधन भी उपलब्ध होते हैं ! दूर– दूर से पहुंचे लोग नई संस्कृति को जानना चाहते हैं ! सबका नज़रिया अपना– अपना है कि लोग उसे किस रूप में देखते हैं !
देश के हर राज्य की कुछ ऐसी अलग पहचान है, जो दूसरी जगह देखने को नहीं मिलती ! हमें उन पहचानों को बढ़ावा देना चाहिए ! यह हमारे देश को आर्थिक रूप से विकास करने में मदद करेगी !
देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जहाँ पर आज भी लोग बहुत ही कम संख्या में जाते हैं ! कुछ ऐसी पुरानी धरोहरें हैं, जो देखभाल की कमी के कारण अपना अस्तित्व खो देती हैं ! हमें उन सांस्कृतिक , प्राकृतिक और धार्मिक विरासतों की देख– रेख करनी चाहिए ! सारी दुनिया में उनका प्रचार— प्रसार भी करना चाहिए ! क्यों कि यह विरासतें ही हमारी सदियों पुरानी संस्कृति और सभ्यता की पहचान है ! यह दूसरों से बहुत अलग करती है ! हमारा महत्व बताती है और देश— विदेश में हमारी पहचान बनाती है !
हमारा देश भले ही आर्थिक दृष्टि में विकसित देशों से पीछे है , लेकिन हमारा इतिहास बताता है कि इस देश की धरती ने अनेक अनमोल मोतियों को भी जन्म दिया है , जिन्होंने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है और हम सब आज उन्हीं के वंशज हैं !
———— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे !