प्रकृति अपना अलौकिक सौंदर्य चारों तरफ फैला दे , फिर भी कुछ लोग खुश न हों तो प्रकृति क्या करे ? अयोध्या में संपूर्ण देवलोक उतर गया ! जिसने जहाँ भी, जैसे भी दर्शन किये , उसको दिव्य अनुभूति हुई ! ऐसे आनंद के वातावरण में बाकी बातें भूल जानी चाहिए !
गोस्वामी तुलसीदास जी बहुत पहले लिख गये हैं कि जहाँ स्वयं श्री राम, राजा होकर विराजमान हों , उस अवधपुरी के निवासियों की सुख— शान्ति और समुदाय का वर्णन हजारों शेष भी नहीं कर सकते ! नारद और सन — कादि मुनि जब राम के दर्शन के लिए अयोध्या आते हैं तो गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं —- ” नारदादि सनकादि मुनीसा ! दरसन लागि कोसलाधीसा ! दिन प्रति सकल अयोध्या आवहिं ! देखि नगरु बिरागु बिसरावहिं ! ” ” नारद आदि और सनक आदि मुनिश्वर सब कोसलराज श्री राम जी के दर्शन के लिए प्रति दिन अयोध्या आते हैं और उस दिव्य नगर को देखकर वैराग्य भुला देते हैं ! वैराग्य साधु की संपत्ति है !
अयोध्या ऐसी पावन जगह है , जहाँ पहुंचने पर एक अलग ही दिव्य उमँग छा जाती है ! आने वाले समय में कौन ऐसा होगा जो अयोध्या नहीं आना चाहेगा ? भौतिक सुख उठाने के लिए लोग कहाँ कहाँ जाते हैं फिर आत्मिक सुख और शान्ति के लिए श्री राम के मन्दिर दर्शनों हेतु अयोध्या सभी लोग अवश्य ही पहुंचेंगे.
———– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे !