” भगवान् श्री राम से सच्चे नेतृत्व के गुण सीखे जा सकते हैं “

श्री राम के राज की विशेषताओं की बड़ी लंबी सूची है  ! इन विशेषताओं के आरंभ में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि ” बयरू ” न कर काहू सन कोई  ! राम प्रताप विषमता खोई  ! राजा राम के राज्य में प्रतिष्ठित होने पर तीनों लोक हर्षित हो गये  ! उनके सारे शोक जाते रहे अर्थात तीनों लोकों के सारे दुःख मिट गए  !

श्री राम के राज्य में कोई किसी से बैर नहीं करता  ! श्री राम के प्रताप से सबकी विषमता  ( आंतरिक भेदभाव) मिट गई  ! श्री राम राज्य की खूबियों की यह पहली घोषणा है  ! यहाँ बैर और विषमता दो शब्द आये हैं  ! यहाँ पर श्री राम से बहुत कुछ सीखा जा सकता है कि यदि हमारे पास नेतृत्व है तो हमारे अधीन जो हैं, उनमें आपस में बैर और भेदभाव नहीं होना चाहिए  !

प्रबंधन की दुनिया में दफ़्तरों  में बुलीइंग की बड़ी चर्चा होती रहती है  ! इसका मतलब होता है  , कामकाज की दुनिया में सीधे, असमर्थ  , कमजोर पर अधिक समर्थ और चालाक लोगों द्वारा धौंस जमाना  !   इसे सीधी भाषा में कहें तो रंगदारी या बुलीइंग शोषण का कार्पोरेट स्वरूप है  ! फिर जो शोषित वर्ग शोषण का शिकार है  , वह भी निगेटिव होने लगता है  ! इसका परिणाम यह होता है कि नुकसान पूरे सिस्टम को झेलना पड़ता है  ! श्री राम  , अपने अधीन काम करने वालों के इस मनोविज्ञान से परिचित थे  ! इसलिए इसका अवसर उन्होंने दिया ही नहीं  ! यदि नेतृत्व इस भावदशा के प्रति जागरूक और सख़्त रहें तो अंत में इसका लाभ पूरी व्यवस्था को होगा  ! श्री राम से यह सीखना ही चाहिए , ” राम प्रताप विषमता खोई  ”  ! सभी में समानता का भाव जागृत कर देना और उन्हें शोक से रहित करना  सच्चे नेतृत्व की योग्यता है  !

 

——– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे  !