परिवार बनाने के लिए साधन चाहिए ! परिवार चलाने के लिए सोच चाहिए और परिवार बचाने के लिए विचार चाहिए ! हमारे बड़े– बूढ़े कहा करते थे कि परिवार में जो भी करो, सोच– विचार करके करो ! क्या फर्क़ हो जाता है, सोच— विचार में ? इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि खेत में बीज की बुवाई होती है और गमले में पौधे की बोनसाई होती है जिसका मतलब है,गमले में बौने पौधे लगाकर सजाये जाते हैं !
बीज का बोना सोच की तरह है लेकिन बोनसाई विचार की तरह है ! सोच में गड़बड़ हो तो तुरंत प्रतिबंध लगाना पड़ता है ! विचार में नियंत्रित रहना पड़ता है ! सोच एक क्रिया है, विचार एक गतिविधि है ! वानर समाज श्री राम का परिवार था ! उनके शत्रु रावण का भाई विभीषण जब शरण लेने आया तो सुग्रीव ने कहा , इसे बन्दी बना लो ! यह एक सोच थी ! लेकिन हनुमान जी का मत था कि इन्हें शरण दी जाए ! यह एक विचार था ! श्री राम ने सोच को नकारा और विचार को स्वीकार्य किया ! इसलिए नहीं कि हनुमान जी श्री राम के निकट हैं ! सुग्रीव भी उनके मित्र थे लेकिन इसलिए कि विचार बोन — साई की तरह होते हैं ! एक गमले में कैसे सबको जोड़कर खूबसूरत बनाया जा सकता है ! यही एक उत्कर्ष कला है ! इसलिए परिवार में जब भी फैसले लेने की घड़ी आये तो तो खूब सोच– विचार कर फैसले लेने चाहिए ! तभी हमारा परिवार सुख– समृद्धि वाला और खुशहाल होगा !
——— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार , पुणे !