देखा जाए तो 22 जनवरी को रामलला की आठवीं प्राण प्रतिष्ठा होगी ! नौवीं हमें अपने भीतर करनी है ! पहली प्राण– प्रतिष्ठा मनु– शतरूपा ने की थी ! उसके बाद दशरथ, कौशल्या , सीता , हनुमान , कार सेवकों , कोर्ट और अब सरकार में दिख रहा उत्साह देवालय के बन जाने पर है !
उत्सव उसमें रामलला के स्थापित होने का है ! यह विधिवत् पूजन एवं मंत्रोचार के बाद संपन्न होगा ! यही प्राण प्रतिष्ठा है ! विश्व में बसे हर भारतीय का मन अयोध्या पहुँच चुका है ! हर सनातनी का रोम– रोम गौरव से भरा है ! इस घटना का साक्षी होकर इतिहास भी धन्य हो गया है !
इस अवसर पर क्यों न हम उन आठ प्रसंगों को समझें ! तब ही नौवें क्रम में हमें अपने भीतर भी रामलला को स्थापित करने का सही अर्थ समझ में आयेगा ! अगर इसी के साथ एक अयोध्या हमने अपने हृदय में भी बसा ली तो फिर शांति, आनंद , प्रसन्नता ढूंढने के लिए संसार में भटकना नहीं पड़ेगा ! मनु– शतरूपा हम मनुष्यों के पहले माता– पिता थे ! इन्होंने नारायण को प्रसन्न कर वरदान मांगा था कि आप हमारे पुत्र बनो और वह भगवान् राम की पहली प्राण प्रतिष्ठा थी जिसमें वह हमें सिखा गए कि मैं यदि ईश्वर होकर मनुष्य बन सकता हूँ तो तुम लोग मनुष्य होकर ईश्वर क्यों नहीं बन सकते ? सीधी– सी बात है कि ईश्वर ने मनुष्य को असीम संभावनाएं दी हैं ! भगवान् राम ने मर्यादा में रहकर जीवन जीने की रीति मनुष्यों को बताई है ! मनुष्यों को भी उन्हीं आदर्शों पर चलकर एक खुशहाल समाज का निर्माण करना चाहिए !
———— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे !