एक उद्योगपति का बहुत बड़ा करोबार था ! उसकी फैक्ट्री में बड़ी– बड़ी मशीनें थी ! रोज़ का करोड़ों का कारोबार होता था ! एक बार एक बड़ी मशीन में कोई खराबी आ गई ! कम्पनी का कोई भी इंजीनियर उसे ठीक नहीं कर पा रहा था ! काम रुका पड़ा था , इसलिए उद्योगपति ने कहा—- किसी को भी बुलाओ , लेकिन मशीन ठीक होनी चाहिए !
आखिरकार बाहर से एक विशेषज्ञ को बुलाया गया ! उसने अपने बैग से पेचकस निकाला और मशीन के भीतर के एक पेंच को थोड़ा सा घुमा दिया ! मशीन शुरू हो गई ! अब उस विशेषज्ञ ने अपना शुल्क बताया— दस हज़ार रुपये ! उद्योगपति चौंक गया ! उसने कहा— सिर्फ एक पेंच घुमाने के 10 हज़ार रुपये ? विशेषज्ञ ने कहा , नहीं, पेंच घुमाने के तो सिर्फ एक रुपये हुए , बाकी 9999 रुपये इस बात के हैं कि कौन सा पेंच किस दिशा में घुमाना है ! इस कहानी का सारांश यही है कि किसी काम के करने का मूल्य इतना नहीं होता , जितना उस काम को दक्षता से करने का होता है !
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार , पुणे !