” काम करने के बाद मन को आराम भी चाहिए “

मतंग ऋषि पशु– पक्षियों के प्रति बहुत स्नेह रखते थे  ! प्रायः वे अध्ययन और उपासना के बाद पक्षियों के साथ खेलने लग जाते थे  ! एक दिन जब वे पक्षियों के बीच खेल रहे थे  , तभी अनंग ऋषि वहाँ आ गए  !

वह मतंग ऋषि का बहुत सम्मान करते थे  ! उन्हें पक्षियों के साथ खेलते देखकर वे बोले, ” महाराज ” ! आप इतने बड़े विद्वान होकर बच्चों की तरह चिड़ियों के साथ खेल रहे हैं  !

इससे आपका मूल्यवान समय क्या नष्ट नहीं होता  ?  मतंग ऋषि यह सुनकर मुस्करा दिये और उन्होंने पास रखे धनुष की डोरी ढीली करके रख दी  ! अनंग ऋषि बोले  ,  ” आपने इस धनुष की डोरी को ढीली करके क्यों रख दिया  ? मतंग ऋषि बोले, हमारा मन धनुष की तरह है  !

यदि धनुष पर डोरी हमेशा चढ़ी रहे तो उसकी मजबूती कुछ ही समय में चली जाती है और वह जल्दी टूट जाता है  , किंतु यदि डोरी काम पड़ने पर ही चढ़ाई जाए तो वह अधिक समय तक टिकती है  ! इसी प्रकार मन को भी काम के बाद आराम मिलता रहे तो इससे मन स्वस्थ व मजबूत बनता है और हमारे कार्यों के सफल बनाने में पूरा सहयोग करता है  !

 

———– राम कुमार  दीक्षित  , पत्रकार  , पुणे  !