इस नये वर्ष में हम चिरंजीवी हो जाएं ! इसका शाब्दिक अर्थ तो यह है कि जिसकी मृत्यु न हो , वो चिरंजीवी होता है लेकिन इस नये वर्ष में हम चिरंजीवी का अर्थ इस तरह से लें कि हम मृत्यु के भय से मुक्त होंगे और दुर्गुणों से हमारा जीवन शापित नहीं होगा !
ये दो स्थितियाँ शास्त्रों में सात पात्रों के साथ बन गई हैं ! ये सात चिरंजीवी हैं —– बलि, परशुराम, हनुमान, विभीषण, व्यास, कृपाचार्य, और अश्वत्थामा ! इन हर एक में एक समानता है ! ये सभी ऑफबीट एक्टिविटी के लिए जाने गए ! वैसे तो कुछ पेड़ और प्राणी भी चिरंजीवी हैं लेकिन अगर हम इन सातों चिरंजीवी को देखें तो इन्होंने अपने जीवन में कुछ ऐसे प्रयोग किये हैं जो हम भी करने का प्रयास कर सकते हैं ! इस नये वर्ष में हम जीवन को शापित होने से बचाएं तो इसका मतलब है कि हम हर परिस्थितियों में अपने को दुर्गुणों से बचाएं और मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएं !
इन सातों में यह विशेषता थी कि ये निर्भय थे अर्थात मृत्यु के भय से रहित थे ! इस वर्ष हालात ऐसे बनते दिखने लगे हैं कि जैसे कोरोना फैलेगा क्या ? लेकिन जो भी परिस्थितियाँ होंगीं, वह सब नियंत्रण में होंगीं ! हमें भय से मुक्त रहना है और अपने को दुर्गुणों से बचाना है तो हम भी समाज के लिए, अपने देश के लिए चिरंजीवी वाली परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकते हैं अर्थात समाज के लोग सकारात्मक रूप से निर्भय हो जाएं तो हमारा देश भी भगवद्मय हो जायेगा !
——— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे !