जिनकी दुआओं से लोगों की बड़ी बड़ी कोठियां खड़ी हो गई हैं ! उनकी तिजोरियाँ भर गयीं लेकिन दुआ देने वाले लोग आज भी रोटी, कपड़ा और मकान की तलाश में भटक रहे हैं ! मनुष्य जब तक संसार में रहता है, तब तक उसकी जिंदगी इन्हीं तीन बातों के आस पास घूमती रहती है !
हम लोग 2024 के नये साल में प्रवेश कर चुके हैं और यह नव वर्ष हमें गति देगा , ऐसी पूर्ण आशा है ! हम रोटी, कपड़ा और मकान की तलाश इस संकल्प से करें कि हम इन तीनों के साथ शान्ति की खोज भी अवश्य करेंगे ! पूरा जीवन लोग इन तीनों में खपा देते हैं और मन की शान्ति उनसे बहुत दूर चली जाती है ! चौथी बात अब इन तीनों के लिए बहुत आवश्यक है कि उन्हें शान्ति भी मिले ! अभी हम रोटी, कपड़ा और मकान में भोग और सुविधा की खोज करते हैं ! इसलिए शान्ति कहाँ , कब खो जाती है, पता ही नहीं चलता ! हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारी सुविधाएं हमें तनाव में न डाले ! अन्न से मन बनता है और मन से ही शान्ति व अ अशांति का जन्म होता है ! हमारे कपड़े ऐसे होने चाहिए कि हम प्रसन्न रहें, खुश रहें ! हमारा मकान छोटा हो या बड़ा, शान्ति देने वाला होना चाहिए !
इन तीनों के लिए प्रयास भी हमें करना है ! पूरा रास्ट्र एक बार फिर तेज़ गति से चल निकला है ! देश को गति देने वाले लोग बार बार यह कह भी रहे हैं कि हर एक के पास रोटी, कपड़ा और मकान होना चाहिए ! इसके लिए कई योजनाएं देश में चल भी रही हैं ! यहाँ पर यह अति आवश्यक हो जाता है कि रोटी, कपड़ा और मकान की सुविधाएं हमें मिल भी जाएं तो इन्हीं के बीच हमें मन की शान्ति की भी खोज करनी होगी कि कहीं हम इन तीनों के मिल जाने के बाद तनावपूर्ण जीवन न जीयें ! सादा जीवन, उच्च विचार के नियमों का पालन करते हुए जीवन जीना ही सार्थक होगा , तभी हम परमात्मा के प्रति भी समर्पित हो पाएंगे !
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार, पुणे !