अब धूप भूल जाइए , सूरज यहाँ नहीं
ऐसी जमीं मिली है जहाँ आसमां नहीं
ये राज़ अब खुला तेरी नाराज़गी के बाद
तू मेहरबाँ नहीं, तो कोई मेहरबाँ नहीं .
मीरा, कबीर, सूरदास —- ओ नानक के प्यार को
जो देश भूल जाए , वो हिंदोस्ता नहीं .
दिल ने तुम्हारी याद में, सबको भुला दिया,
इस ताक में चराग़ है लेकिन धुआँ नहीं .
जा उसका नाम लिख दे गुलाबों की शाख पर,
फूलों के आस पास अगर तितलियाँ नहीं .
( संकलित )
——— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार , पुणे !