जो तुम्हारी नज़र से उतर जायेंगे ,
गर वो भावुक हुए तब तो मर जायेंगे !
बे— वजह यूँ न खिड़की से झांका करो ,
राह चलते मुसाफिर ठहर जायेंगे !
कुछ प्रवासी परिंदे भी हैं झील पर ,
ऋतु बदलते ही जो अपने घर जायेंगे !
इक पड़ाव के आगे हैं रास्ते कई
कुछ इधर जायेंगे कुछ उधर जायेंगे !
जिनको खैरात खाने की आदत लगी ,
उनके मेहनत के गुण सब चले जायेंगे !
बेहतरी के मसौदे कई हैं मगर ,
सब के सब फ़ाईलों में ही मर जायेंगे !
( संकलित )
———– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार , पुणे !