कायर को ही दहलाती है !
शूरमा नहीं विचलित होते ,
क्षण एक नहीं धीरज खोते ,
विघ्नों को गले लगाते हैं ,
काँटों में राह बनाते हैं !
मुख से न कभी उफ कहते हैं ,
संकट का चरण न गहते हैं ,
जो आ पड़ता सब सकते हैं ,
उद्योग—- निरत नित रहते हैं ,
शूलों का मूल नसाने को ,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को !
———— प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर
( संकलित )
———- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार