अपने पर बड़ा अभिमान हुआ ,
गोवर्धन पर्वत की पूजा
उन्हें तनिक न रास आयी !
भावावेश में मूसलाधार बारिश से
भारी से भारी तबाही मचाई !
गोकुलवासियों ही नहीं
पशु पक्षियों तक में बेचैनी छाई !
सब हैरान परेशान थे
क्या कैसे करें ? सब हलकान थे !
थकहार कर कन्हैया से गुहार लगाई
कन्हैया का आग्रह भी बेकार गया
इंद्र का हठ बढ़ता गया
सबसे ऊपर वह ख़ुद को समझ बैठा,
कन्हैया को वो बच्चा समझ
बहुत तना और था ऐंठा !
तब विष्णु अवतारी कृष्ण ने
अपना मायाजाल फैलाया ,
कनिष्ठा ऊँगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत
खिलौने की भाँति उठाया ,
गोकुलवासियों ही नहीं
पशु पक्षियों , और जाने कितने
जीव जन्तुओं के प्राण बचाया !
इंद्र अब हैरान परेशान हो गया
कृष्ण के आगे बड़ा लाचार हो गया
सारी कोशिशें कर ली उसने
परन्तु सब बेकार गया
आखिर वो मज़बुर् हो गया ,
अपनी हठधर्मी पर शर्मिंदा हो गया
श्रीकृष्ण के सम्मुख नतमस्तक हो गया !
गोवर्धन पूजन उल्लास से संपन्न हो गया
गोकुलवासियों का मन
प्रसन्नता से भर गया ,
इंद्र का अभिमान चूर चूर हो गया !
तभी से गोवर्धन पूजा का प्रारंभ हो गया
जन जन में गोवर्धन के प्रति
अमिट अनुराग हो गया ,
श्रीकृष्ण का चारों तरफ
जय जयकार हो गया ,
कृष्ण कन्हैया मुरलीवाले का
हर हृदय में वास हो गया !!
( संकलित )
——– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !