“आई दीवाली है “

लो  दिये  जलाओ  गली– गली

आई  दीवाली   है  !

लगती  सबको  भली— भली

आई  दीवाली  है  !!

 

बाज़ार  सजी  , लक्ष्मी— गणेश —

खीलों  फुलझड़ियों  से  !

कंदीले   देखो  जली— जली

आई  दीवाली  है   !!

 

हर   ओर  रोशनी  का  मेला —

है  धूम  पटाखों  की  !

अंधियारे  की  छवि  ढली– ढली

आई  दीवाली  है  !

 

खिल  उठी  मिठाई  खेल— खिलौने–

खाकर  खुशियों  से  !

बच्चों  के  दिल  की  कली– कली

आई  दीवाली  है  !!

(  संकलित  )

—— राम कुमार   दीक्षित  , पत्रकार  !