” कार्य करने की प्रेरणा “

एक छोटे से खेत में एक जवान लड़का और उसका दादा मिट्टी खोद रहे थे  ! वे मिट्टी को पलट रहे थे  ! उसकी गाँठों को तोड़ रहे थे ताकि मिट्टी उस वर्ष की बुआई के लिए अच्छे से तैयार हो सके  !

उस काम में काफी कड़ी मेहनत थी लेकिन उनके सभी प्रयास एक अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए आवश्यक थे  !

बूढा आदमी अपनी 70 की उम्र में भी अच्छी तरह से कड़ी मेहनत कर रहा था  ! हाँ  थकान  से वह काफी हद तक हाँफ रहा था  ! हर प्रहार के जोर से उसके माथे से पसीना टपकता था लेकिन फिर भी वह शिकायत नहीं कर रहा था  !

उसका पोता जो महज 17 साल का था, तंदुरुस्त और ताकतवर  ! वह मिट्टी को पलटने और गाँठों को तोड़ने में लगती मेहनत और ताकत के लिए कोसता  , फिर वहाँ खड़े होकर वह हाँफता और थोड़ी देर के लिए रुक जाता  ! थोड़ा आराम करने के बाद एक बार फिर से काम शुरू करने से पहले शिकायत करता  !

थोड़ी देर बाद युवा पोता देखता है कि उसके दादा जी ने जितना काम कर जमीन को तैयार किया वह खुद ने की जमीन से बहुत ज्यादा है  !

दादा जी, आप इतने बूढ़े हो, फिर भी आपने मुझसे इतना अधिक काम कैसे किया  ? पोता अपने दादा से पूंछता है  !

दादा जी ने उसे जो जवाब दिया, उसकी उसे उम्मीद नहीं थी  !

जब हम अपना समय यह सोचने में बिताते हैं कि कोई काम कितना कठिन है और अभी कितना सारा काम बाकी है  , तब हमारा मन बहाने बनाने लगता है  !

इन सभी चीजों के बारे में सोचना, अपने स्वयं के विचारों के बवंडर में फंसना ही उस काम को हमारे लिए बहुत ज्यादा कठिन बना देता है  ! इसलिए समझदारी इसी में है कि वास्तविक रूप से पहली बार शारीरिक कार्य किया जाए  !

जब हम तय किये काम के बारे में ज्यादा सोचते हैं और अपने दिमाग को नकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देते हैं  , तो हमारी गति उस काम को करने के लिए अपने आप धीमी हो जाती है  ! इसलिए हमेशा सकारात्मक विचारों के साथ कार्य को एकाग्रता से  करना चाहिए , तभी हमेँ जीवन में सफलता मिल सकती है  ! कहानी से यही सीख मिलती है कि कोई भी कार्य कठिन नहीं होता बशर्ते लक्ष्य को पाने के लिए  कठिन परिश्रम  किया जाए  और तब तक न रुका जाए, जब तक कि लक्ष्य हासिल न हो जाए  !

 

———-  राम  कुमार  दीक्षित  , पत्रकार  !