” मैं भी इक सौगंध राम की खाता हूँ “

राम  मिलेंगे  मर्यादा  से  जीने  में

राम  मिलेंगे  बजरंगी  के सीने  में

राम  मिले  हैं  वचनबद्ध  वनवासों  में

राम  मिले  हैं  केवट  के  विश्वासों  में

राम  मिले  अनुसुइया  की   मानवता  को

राम  मिले  सीता  जैसी  पावनता   को

 

राम  मिले  ममता  की  माँ  कौशल्या  को

राम  मिले  हैं  पत्थर  बनी  आहिल्या  को

राम  नहीं  मिलते  मन्दिर  के  फेरों  में

राम  मिले  शबरी  के  झूठे  बेरों   में

 

मैं  भी  इक  सौगंध  राम  की  खाता  हूँ

मैं  भी  गंगाजल  की  कसम  उठाता   हूँ

मेरी  भारत  माँ  मुझको  वरदान   है

मेरी  पूजा  है  मेरा  अरमान   है

मेरा  पूरा  भारत   धर्म– स्थान   है

मेरा  राम   तो  मेरा  हिंदुस्तान   है   !!

——–  हरि ओम पंवार

( संकलित  )

 

——— राम कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !