धाम— धरा— धन जाय भले ही ,
यह अपना उद्देश्य न भूले !
निज भाषा , निज भाव न भूले ,
निज भूषा , निज वेश न भूले !
प्रभो , तुम्हें भी सिंधु पार से
सीता का संदेश न भूले !
—— प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त
( संकलित )
———– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !