” कोने में बैठकर क्यों रोता है ? “

कोने   में  बैठकर  क्यों  रोता  है  ?

कोने  में  बैठकर  क्यों  रोता  है  ?

यूँ  चुप  चुप  सा  क्यों  रहता  है  ?

आगे  बढ़ने  से  क्यों  डरता  है  ?

सपनों  को  बुनने  से  क्यों  डरता  है  !

तक़दीर  को  क्यों  रोता   है  ,

मेहनत  से  क्यों   डरता   है   ?

झूठे  लोगों   से   क्यों  डरता  है  ?

कुछ  खोने  के  डर  से  क्यों  बैठा  है  ?

हाथ  नहीं  होते  नसीब  होते  हैं  उनके भी  ,

तू  मुट्ठी  में  बन्द  लकीरों  को  लेकर  रोता  है  !

भानु  भी करता है  नित  नई  शुरुवात  ,

सांझ  होने  के  भय  से  नहीं  डरता  है  !

मुसीबतों  को  देख  कर  क्यों  डरता  है  ?

तू  लड़ने  से  क्यों  पीछे  हटता  है   ?

किसने   तुमको  रोका  है  ,

तुम्हीं  ने   तुमको  रोका  है   !

भर  साहस  और  दम  , बढ़ा  कदम  ,

अब  इससे  अच्छा  कोई  न  मौका   है   !

 

————  नरेन्द्र  वर्मा

(  संकलित  )

———— राम कुमार  दीक्षित  ,   पत्रकार    !