” सदाचारी से बड़ा दूसरा कोई धर्मात्मा नहीं होता “

 पुण         सत्य पर सदैव अटल रहना चाहिए  ! सत्य कहने में कदापि नहीं हिचकना चाहिये  ! सत्यवादी व सदाचारी से बड़ा दूसरा कोई धर्मात्मा नहीं होता  !

खानदेश  ( महाराष्ट्र  )  के जिलाधीश लक्षमनराव देशमुख परमात्मा में दृढ़ विश्वास रखने वाले अधिकारी थे  ! वह अंग्रेज अधिकारियों के अन्यायपूर्ण आदेशों को निर्भीकता के साथ मानने से इनकार कर देते थे  ! वह स्वामी दयानंद सरस्वती के वेद संबंधी विचारों से प्रभावित थे  ! मई   1883  में देशमुख स्वामी जी के सत्संग के लिए अजमेर गये  ! स्वामी जी अजमेर से जोधपुर जा रहे थे  !

देशमुख ने उन्हें अपना परिचय दिया और कहा , मैं आपसे योग विद्या सीखने और सत्संग के लिए आया हूँ  ! स्वामी जी ने कहा, मेरे साथ जोधपुर चलो  ! रास्ते में स्वामी जी ने उनसे कहा, सत्य पर सदैव अटल रहना चाहिए  ! सत्य बात कहने में कदापि नहीं हिचकना चाहिए  ! सत्यवादी व सदाचारी से बड़ा दूसरा कोई धर्मात्मा नहीं होता  ! देशमुख जोधपुर में एक सप्ताह तक स्वामी जी के साथ रहे  !

स्वामी जी ने उनसे कहा, किसी के साथ अन्याय न होने पाए और किसी असहाय का उत्पीड़न न हो  ! इसका पूरा ध्यान रखना आपका परम धर्म होता है  !

देशमुख जब लौटने लगे, तो स्वामी जी से बोले  जो वर्षों की साधना से नहीं मिल सकता, वह मुझे आपके सान्निध्य से मिल गया  ! मैं आजीवन आपके बताये सदमार्ग पर चलता रहूँ  , ऐसा आशीर्वाद दीजिये  !

 

————– राम कुमार  दीक्षित, पत्रकार   !