” चिड़िया की आँखें फटी की फटी रह गयीं “

एक चिड़िया के बच्चे होने वाले थे  ! वह आशियाने की तलाश में जंगल में पहुंची  ! वहाँ उसको दो पेड़ दिखे जो नदी के किनारे पर थे  ! उसने पहले पेड़ से घर बनाने के लिए पूँछा  ! पहले पेड़ ने मना कर दिया  ! अब वो दूसरे पेड़ के पास पहुंची  तो दूसरे पेड़ ने घर बनाने की इजाजत दे दी  ! लेकिन कुछ दिनों के बाद एक घटना घटी  ! अचानक बाढ़ आ गई और जिस पेड़ ने उसे घर बनाने से मना किया था  ! वो उखड़कर बह गया  ! ये देखकर दूसरे पेड़ पर बैठी चिड़िया बोली कि जो दूसरों की मदद नहीं करते  , उनके साथ ऐसा ही होता है  ! कभी– कभी भिखारी भी दूसरे की मदद कर देते हैं  !

बहते हुए पेड़ ने बहुत ही शालीनता के साथ जवाब दिया कि ऐसा बिल्कुल नहीं है  ! मेरी जड़ें कमजोर थी , इसलिए मैंने आपको मना किया  क्यों कि मैं नहीं चाहता था कि आपका और आपके  नन्हें बच्चों का भविष्य मेरी वजह से बह जाए  ! यह सुनकर उस चिड़ियाँ की आँखें फटी की फटी रह गयीं कि मैं  कितनी गलत थी  ! हमारे जीवन में भी अक्सर ऐसा होता है कि हम दूसरे की परिस्थितियों को बिना जाने अपना निष्कर्ष निकाल लेते हैं  ! कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि  हर परिस्थिति का हमें गंभीरता से आंकलन करना चाहिए  !

 

———- राम कुमार दीक्षित,  पत्रकार,  पुणे  !