” बाज़ और किसान “

  1. बहुत समय पहले की बात है  ! एक राजा को किसी ने बाज के दो बच्चे भेंट किये  ! वे बड़ी ही अच्छी नस्ल के थे, और राजा ने कभी इससे पहले इतने शानदार बाज नहीं देखे थे  !  राजा ने उनकी देखभाल के लिए एक अनुभवी आदमी को नियुक्त कर दिया  ! जब कुछ महीने बीत गये तो राजा ने बाजों को देखने का मन बनाया  ! राजा उस जगह पहुँच गए, जहाँ बाजों को पाला जा रहा था  ! राजा ने देखा कि दोनों बाज काफी बड़े हो चुके हैं और अब पहले से भी ज्यादा शानदार लग रहे हैं  !

 

राजा ने बाजों की देखभाल कर रहे आदमी से कहा,  ” मैं इनकी उडान देखना चाहता हूँ  ! तुम इन्हें उड़ने का इशारा करो  ”  ! आदमी ने ऐसा ही किया  !  इशारा मिलते ही दोनों बाज उड़ान भरने लगे, पर जहाँ एक बाज आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था  ! वहीं दूसरा, कुछ ऊपर जाकर वापस उसी डाल पर  आकर बैठ गया जिससे वो उड़ा था  ! ये देखकर राजा को कुछ अजीब लगा  !  ” क्या बात है  , जहाँ एक बाज इतनी अच्छी उड़ान भर रहा है, वहीं दूसरा बाज उड़ना ही नहीं चाह रहा है  ? राजा ने सवाल किया  !

 

जी  हुज़ूर  , इस बाज के साथ शुरू से यही समस्या है  ! वो इस डाल को छोड़ता ही नहीं  !  राजा को दोनों बाज बहुत प्रिय थे और वो दूसरे बाज को भी उसी तरह उड़ना देखना चाहते थे  ! अगले दिन पूरे राज्य में ऐलान कर दिया गया कि जो व्यक्ति इस बाज को ऊँचा उडाने में कामयाब होगा  , उसको ढेरों इनाम दिया जायेगा  ! फिर क्या था  , एक से एक विद्वान आये और बाज को उड़ाने के प्रयास करने लगे  ! हफ़्तों बीत जाने के बाद भी बाज का वही हाल था  ! बाज थोड़ा सा उड़ता और वापस डाल पर आकर बैठ जाता  ! फिर एक दिन कुछ अनोखा हुआ  ! राजा ने देखा कि उसके दोनों बाज आसमान में उड़ रहे हैं  ! राजा को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति का पता लगाने को कहा जिसने ये कारनामा कर दिखाया  !

 

वह व्यक्ति किसान था  ! अगले दिन वह दरबार में हाज़िर हुआ  ! उसे इनाम में स्वर्ण मुद्राएँ भेंट करने के बाद राजा ने कहा, ” मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ  ! बस तुम इतना बताओ कि जो काम बड़े बड़े विद्वान नहीं कर पाए, वो तुमने कैसे कर दिखाया  ? ” ” मालिक ” ! मैं तो एक साधारण सा किसान हूँ  ! मैं ज्ञान की ज्यादा बातें नहीं जानता  ! मैंने तो बस वो डाल ही काट दी जिस पर बैठने का बाज आदी हो चुका था  ! अब जब डाल ही नहीं रही तो वो भी अपने साथी के साथ ऊपर उड़ने लगा  ! इस कहानी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हम सब भी ऊँचा उड़ने के लिए ही बने हैं   लेकिन कई बार हम जो कर रहे होते हैं  ! उसके आदी हो जाते हैं कि अपनी ऊँची उड़ान भरने या कुछ बड़ा करने की योग्यता ही भूल जाते हैं  ! यदि आप वर्षों से किसी ऐसे काम में लगे हैं जो आपकी सही योग्यता के अनुरूप नहीं है तो एक बार ज़रूर सोचिये कि कहीं आपको भी उस डाल को काटने की ज़रूरत तो नहीं है, जिस पर आप  बैठे हुए हैं  ?

राम कुमार दीक्षित  ,  पत्रकार  ,  पुणे  !