” भक्ति मार्ग में सबसे बड़ी बाधा ‘अहंकार ‘ “

संतों के वचन हैं कि परमात्मा को पाने के लिए की जाने वाली सभी साधनाओं में  ” अहंकार ” सबसे बड़ी बाधा है  !  अध्यात्म के मार्ग पर यदि चलना है तो सबसे पहली शर्त यही है कि अहंकार को त्याग कर जीवन में सरलता धारण करनी होगी  !  साधक यदि अहंकार से भरा हुआ रहेगा तो परमात्मा के आने का हृदय में स्थान मिलेगा ही नहीं  !

शास्त्रों एवं ग्रंथो में परमात्मा ने अपने  प्यारों की पहचान बताई है कि मुझे वही प्रिय हैं जो अहंकार से रहित हैं और मुझमें अनन्य भाव रखते हैं  ! भक्त को जब तक ” मैं ” का भाव रहता है, तब तक वह भक्ति तो करता है लेकिन उसे प्रियतम परमात्मा की अनुभूति नही हो सकती है  ! कभी कभी तो ऐसा लगेगा, उसको कि बस वह परमात्मा के बिल्कुल करीब पहुँच गया   लेकिन ऐसा होता नहीं  !

भक्ति मार्ग में भी जब तक दूसरे को प्रभावित करने की लालसा बनी रहती है, तब तक समझना चाहिए कि अभी और अहंकार से बचने की जरूरत है  ! बड़े बड़े धार्मिक संगठनों में भजन गायकों में भी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है  ! उनके अहंकार को जरा सी भी चोट लगती है, तब वह अपने असली स्वरूप में प्रकट हो जाते हैं  ?

परमहँसों के अनमोल वचन हैं कि अपने को धोख़ा मत दो  ! पहचानो अपने आप को   कि तुम कौन हो और तुम आये कहाँ से इस संसार में  ! सतगुरु वचन यह भी है कि ” तुम सेवा से पाओगे पार  ”  ! अब सेवा करने के लिए भी तो अहंकार से शून्य होना पड़ेगा  ! बड़े बड़े धार्मिक संगठनों में भी सेवा करने और कराने में अहंकार का बोलबाला देखने को मिलता है, जबकि उद्देश्य होता है  परमात्मा की प्राप्ति का  !

इसीलिए   कबीर साहेब का भी कथन है कि परमात्मा के सुमिरन में देरी न करो  ! निरंतर  अपने मन से सुमिरन करो लेकिन अपने मुख से कुछ न बोलो  ! बस परमात्मा के प्रति होश संभालो, जैसे पत्नी अपने मायके जब जाती है तब भी उसका ध्यान अपने पति पर बना रहता है  !  परमात्मा के प्रति होश संभालना भी बहुत बड़ी साधना है क्यों कि जैसे ही आप परमात्मा के प्रति होश से भरे कि आपको परमात्मा से प्यार हो जायेगा और जिससे प्रेम हो जाता है  , वह फिर दूर कहाँ रहता है  !  इसलिए जैसे ही परमात्मा के प्रति प्रेम से भरे कि अहंकार का नामोनिशान नहीं मिलेगा  !  संतों के वचन हैं कि परमात्मा को पाना है तो परमात्मा से प्रेम करना होगा और  परमात्मा से प्रेम हुआ नहीं कि आपका जीवन आनंद से लबालब हो जायेगा  !

राम कुमार दीक्षित,  पत्रकार     !