” श्री निजानंद संप्रदाय के सिद्धांत “

पारब्रम्ह अक्षरातीत को ही अपना इष्ट मानते हैं  ! वह अक्षरातीत युगल स्वरूप, परम किशोर, अनादि, अविनाशी व स्व लीला अद्वैत है  ! दिव्य ब्रह्मपुर ही हमारा धाम है  ! धाम धनी अक्षरातीत की उपासना पतिव्रत साधन से करते हैं  !

हक़ी स्वरूप श्री प्राणनाथ जी की शोभा सुंदर साथ  ( परमहंसों)  व हद– बेहद ब्रह्माडो में सर्वोपरि है  ! अपने पूजा स्थल में श्री प्राणनाथ जी  द्वारा अवतरित वाणी  ” श्री कुलजम स्वरूप ” को उन्हीं का वांगमय स्वरूप मानकर पूजा करते हैं  !

सभी पूजा स्थल वास्तव में ज्ञान मन्दिर हैं  , जिनका मूल प्रयोजन श्री मुख वाणी के पठन पाठन व चितवंन, मनन को प्रोत्साहित करना है  ! श्री प्राणनाथ  जी के वांगमय स्वरूप के अतिरिक्त किसी अन्य स्वरूप, व्यक्ति, मूर्ति, चित्र, समाधि या जड़ वस्तु की पूजा निषेध है  !

निजानंद संप्रदाय के सभी अनुयायियों  ( सुन्दर साथ  ) को परम धाम की आत्मा (ब्रह्म सृष्टि)  मानकर उनकी सेवा करना  ! सभी सुन्दर साथ समान हैं  ! उनमें आध्यात्मिक पद, आयु, जाति, लिंग या आर्थिक स्थिति का भेद मान्य नही है  !

परम धाम की आत्माएं जो अभी संसार में मग्न हैं  , उन तक ब्रह्म वाणी को पंहुचाना ही जागनी है  ! जागनी सभी सुन्दर साथ का नैतिक धर्म व् वास्तविक सेवा है  ! किसी भी शारीरिक कर्मकांड ( जप, परिक्रमा, उपवास, भजन — नृत्य  आदि  ) पर विश्वास न करके आत्मिक भाव से ज्ञानार्जन, प्रेम व चितवनी के मार्ग पर चलना  !

सबसे पूज्य स्थान श्री  5 , पद्मावती पुरी  ( पन्ना, मध्य प्रदेश  ) को माना जाता है  ! धूम्रपान, माँस, मदिरा आदि, नशीले पदार्थ  व तामसी भोजन का सेवन वर्जित है  ! विषय वासना, झूठ, चोरी पर संयम अति आवश्यक है  !

श्री प्राण नाथ जी के आवेश से अवतरित श्री कुलजम स्वरूप वाणी व बीतक साहब पूज्य ग्रंथ हैं  ! सभी आयु वर्ग के सुन्दर साथ एक– दूसरे को समान मानते हुए परस्पर अभिवादन में प्रणाम का प्रयोग करते हैं  !

शारीरिक संस्कारों  ( जन्म, विवाह, मृत्यु  आदि  ) को भी सादी रीति से निभाना  ! कोई भी विशेष कर्मकांड वर्जित है  ! जो हमारे साथ बुराई करे, उसके साथ भी भलाई करना  ! धर्म के अन्य सामान्य सिद्धांतों का  पालन  भी किया जाता है  !

(  संकलित  )

राम कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !