दुनिया बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई,
काहे को दुनिया बनाई तूने काहे को दुनिया बनाई ?
काहे बनाये तूने माटी के पुतले,
धरती ये प्यारी प्यारी मुखड़े ये उजले,
काहे बनाया तूने दुनिया का खेला ?
जिसमें lagaya जवानी का मेला,
गुप्–चुप तमाशा देखे, वाह रे तेरी खुदाई,
काहे को दुनिया बनाई, तूने काहे को दुनिया बनाई ?
तू भी तो तड़पा होगा मन को बनाकर,
तूफ़ाँ ये प्यार का मन में छुपाकर,
कोई छवि तो होगी आँखों में तेरी
आँसू भी छलके होंगे पलकों से तेरी,
बोल क्या सूझी तुझको, काहे को प्रीत जगाई,
काहे को दुनिया बनाई, तूने काहे को दुनिया बनाई ?
प्रीत बनाके तूने जीना सिखाया, हंसना सिखाया
रोना सिखाया,
जीवन के पथ पर मीत मिलाये,
मीत मिलाके तूने सपने जगाये,
सपने जगाके तूने, काहे को दे दी जुदाई,
काहे को दुनिया बनाई, तूने काहे को दुनिया बनाई ?
यह गीत फिल्म तीसरी कसम का है ! इस गीत के गीतकार हसरत जयपुरी जी हैं और फिल्म के संगीत निर्देशक शंकर जय किशन हैं ! फिल्म के इस गीत में एक प्रेमी परमात्मा से प्यार भरी शिकायत करता है कि हे दुनिया बनाने वाले परमात्मा ये दुनिया ही क्यों बनाई आपने जिसमें वियोग है ! यह संसार बनाया तो आपने बहुत आकर्षण से भरा जिसमें बहुत सुन्दर और प्यारे- प्यारे लोग हैं जिनसे प्यार हो जाना बिलकुल स्वाभाविक है लेकिन इसके बावजूद आपने बिछड़ने की रीति क्यों बनाई ? प्रेमी परमात्मा से प्यार भरी शिकायत करते हुए आगे कहता है कि आपने भी किसी से प्यार किया होगा और आप भी प्यार में तड़पे होंगे और जो छवि आपके नयनों में होगी, उसको याद करके आपकी पलकों से भी आँसू छलके होंगे ? फिर प्यारी शिकायत कि आपने दिलों में प्रीत जगाई ही क्यों ?
प्रेमी फिर आगे बोल रहा है कि प्रीत दिलों में जगाकर आपने जिंदगी जीना सिखाया और हंसना, रोना सिखाया ! जिंदगी में आपने प्यार करने वाले भी मिलाये और रंगों से भरे सपने भी दिखाये लेकिन फिर आपने जुदाई दे दी ! वियोग दे दिया, ऐसा आपने क्यों किया ? अगर ऐसा ही करना था तो हे परमात्मा आपने दुनिया ही क्यों बनाई ?
गीत का सार गर्भित अर्थ यही है कि कोई प्रेम में वियोग नहीं चाहता है ! सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब तक अहंकार है, तब तक प्रेमी बिना शर्त प्रेम का स्वाद नहीं चख पायेगा ! हर व्यक्ति प्यार पाना चाहता है, देना नहीं चाहता ! प्रेम की पहली शर्त यही है कि प्रेम दो, बदले में प्रेम पाने की आशा मत रखो ! वैसे नियम यही है कि जब आप प्यार देना शुरू करते हैं तो आपकी तरफ प्रेम बहना शुरू होता है ! यह भी सच है कि परमात्मा को भी अपनी आत्माओं से बहुत प्यार है और वह भी प्यार की तड़प को खूब जानते हैं ! आध्यात्मिक जगत में भी प्रेम की बहुत मान्यता है ! प्रेम से ही परमात्मा को पाना बहुत सरल बताया गया है ! अब इस संसार में भी अगर बिना शर्त प्रेम हो तो वियोग कोई माने नहीं रखता ! इससे यही सीख मिलती है कि हमें परमात्मा के संसार के हर प्राणी से भरपूर प्यार करना चाहिए और मानवता के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए !
राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !