” तुमको रंग लगाना है “

तुमको रंग  लगाना है,

होली  आज  मनाना  है  !

प्रतिकार  करो  इनकार  करो,

पर  रंगों  को  स्वीकार  करो   !

रंगों  से  तुम्हें  नहलाना  है  ,

होली  आज  मनाना  है   !

भर  पिचकारी  बौछार  जो  मारी  ,

भीगी  चुनरी  भीगी  साड़ी  ,

अपने  ही  रंग  में  रंगवाना  है  ,

होली  आज  मनाना  है  !

 

राम कुमार दीक्षित, पत्रकार  !