” दोस्त का जवाब “

बहुत समय पहले की बात है  ! दो दोस्त बीहड़ इलाकों से होकर शहर जा रहे थे  ! गर्मी बहुत अधिक होने के कारण वो बीच बीच में रुकते और आराम करते  ! उन्होंने अपने साथ खाने पीने की भी कुछ चीजें रखी हुई थी  ! जब दोपहर में उन्हें भूख लगी तो दोनों ने एक जगह बैठकर खाने का विचार किया  ! खाना खाते– खाते दोनों में किसी बात को लेकर बहस छिड़ गई  और धीरे धीरे बात इतनी बढ़ गई कि एक दोस्त ने दूसरे दोस्त को थप्पड़ मार दिया लेकिन थप्पड़ खाने के बाद भी दूसरा दोस्त चुप रहा और उसने कोई विरोध नहीं किया, बस उसने पेड़ की एक टहनी उठाई और उससे मिट्टी पर लिख दिया, ” आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा  !

थोड़ी देर बाद उन्होंने पुनः यात्रा शुरू की  !  मन  में खिन्नता होने के karanr वो बिना एक दूसरे से बात किये आगे बढ़ते जा रहे थे कि तभी थप्पड़ खाये दोस्त के चीखने की आवाज़ आई  ! वह आगे जाकर गलती से दलदल में फंस गया था  ! दूसरे दोस्त ने तेज़ी दिखाते हुए उसकी मदद की और उसे दलदल से निकाल लिया  ! इस बार भी वह दोस्त कुछ नहीं बोला, उसने बस एक नुकीला पत्थर उठाया और एक विशाल पेड़ के तने पर लिखने लगा, ” आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई ” !

उसे ऐसा करते देख, दूसरे मित्र से रहा नहीं गया और उसने पूँछा, ” जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा तो तुमने मिट्टी पर लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तो तुम पेड़ के तने पर कुरेद– कुरेद कर लिख रहे हो, ऐसा क्यों  ?  ” जब कोई तकलीफ दे तो हमें उसे अन्दर तक नहीं बिठाना चाहिए ताकि क्षमा रूपी हवाएँ इस मिट्टी की तरह ही उस तकलीफ को हमारे दिल से बहा ले जाएं, लेकिन जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करे तो उसे इतनी गहराई से अपने मन में बसा लेना चाहिए कि वो कभी हमारे दिल से मिट ना सके ”  !

 

राम कुमार दीक्षित, पत्रकार  !