गीत नया गाता हूँ ,
टूटे तारों से, फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणीम की रेख देख पाता हूँ,
गीत नया गाता हूँ !
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा
रार नई ठानूँगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ !
————– अटल बिहारी वाजपेयी
( संकलित )
राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !