नुक्कड नाटकों के माध्यम से पूरे प्रदेश ने सूनी लैंगिक समानता की गूज

नुक्कड नाटकों के माध्यम से पूरे प्रदेश ने सूनी लैंगिक समानता की गूज

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गांव-गांव, मोहल्ले मोहल्ले, आयोजित किये गये नुक्कड नाटक

लक्ष्य है कि प्रत्येक बच्ची और प्रत्येक महिला आत्मनिर्भर, सुरक्षित सम्मानित और समानता का जीवन जी सके
-प्रमुख सचिव लीना जौहरी

लखनऊ: 27 सितंबर, 2025

महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में आज प्रदेश के सभी जनपदों में लैंगिक समानता के विषय पर विशेष जन-जागरुकता अभियान के अंतर्गत नुक्कड नाटकों का व्यापक आयोजन किया गया। यह आयोजन शहरों की गलियों, मोहल्लों. ग्राम पंचायतों के चौपालों, स्कूलों और कॉलेजों तक पहुँचते हुए जन-जन के बीच एक सशक्त संदेश छोड कर गये। इस पहल का उद्देश्य लोगों को यह समझाना था कि लैगिक असमानता केवल महिलाओं या बालिकाओं की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की प्रगति में बाधा है।
मिशन शक्ति 5.0 के अंतर्गत लगातार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता को महिलाओं और बालिकाओं के जीयन का स्वाभाविक हिस्सा बनाया जाए। इसी कड़ी में नुक्कड़ नाटक को एक प्रभावी माध्यम के रूप में चुना गया, क्योंकि यह न केवल मनोरंजन के जरिए संदेश पहुँचाता है. बल्कि सीधा संवाद स्थापित करते हुए समुदाय को सोचने और आत्ममंथन करने के लिए प्रेरित करता है। प्रदेश के हजारों स्थानों पर प्रस्तुत किए गए इन नाटकों ने लोगों को सकझोरा और उन्हें लैंगिक असमानता की वास्तविकताओं और समाधान पर विचार करने का अवसर दिया।
नुक्कड नाटकों में यह स्पष्ट किया गया कि लैंगिक असमानता का अर्थ है महिलाओं और पुरुषों को अवसरों, संसाधनों, शिक्षा, रोजगार, निर्णय लेने और सामाजिक मान्यता में समानता न मिलना। यह असमानता समाज की जड़ों में गहराई से बसी हुई है, जो बचपन से ही लडकियों और लडकों के बीच भेदभाव, शिक्षा और स्वास्थ्य में असमान पहुँच, कार्यस्थलों पर भेदभावपूर्ण व्यवहार, वेतन असमानता और सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताओं में दिखाई देती है। नाटकों के जरिए दर्शाया गया कि जब लडकियों को शिक्षा में पीछे रखा जाता है या उनके करियर विकल्पों को सीमित किया जाता है. तो पूरा समाज एक संभावित प्रतिभा और संसाधन से वंचित हो जाता है। इसी तरह जब महिलाएँ कार्यस्थल पर असमान व्यवहार का सामना करती हैं, तो न केवल उनकी आत्मनिर्भरता प्रभावित होती है. बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति भी धीमी हो जाती है।
इन नाटकों में समाधान के रूप में यह संदेश भी दिया गया कि लैंगिक समानता केवल कानूनों के बल पर ही नहीं, बल्कि समाज की सोच में परिवर्तन से ही संभव है। परिवारों में बेटियों और बेटों के साथ समान व्यवहार, शिक्षा के अवसरों में समानता, कार्यस्थलों पर सम्मानजनक और सुरक्षित वातावरण, घरेलू कार्यों की समान भागीदारी और सामाजिक संस्थानों में महिलाओं की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित कर ही यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यह भी रेखांकित किया गया कि सरकार की विभिन्न योजनाएँ तभी प्रभावी होंगी, जब समाज स्वयं भी उन्हें अपनाने और लागू करने में सहयोग करेगा।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने कहा कि मिशन शक्ति 5.0 केवल महिलाओं और बालिकाओं के लिए योजनाओं की श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह एक सतत सामाजिक क्रांति है। लैंगिक समानता इस क्रांति की आधारशिला है. क्योंकि जब तक समाज में महिलाओं और पुरुषों को समान अवसर और अधिकार नहीं मिलेंगे, तब तक विकास अधूरा रहेगा। हमारा लक्ष्य यह है कि प्रत्येक बच्ची और प्रत्येक महिला आत्मनिर्भर, सुरक्षित, सम्मानित और समानता का जीवन जी सके। आज के नुक्कड नाटकों ने यह सशक्त संदेश दिया है कि यह परिवर्तन केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि प्रत्येक परिवार और समुदाय की भागीदारी से ही संभव है।
प्रदेशभर में हुए इन आयोजनों में भारी जन-सहभागिता देखने को मिली। गाँवों में चौपालों पर और कस्बों की गलियों में लोगों ने पूरे उत्साह से इन नाटकों को देखा और विचार विमर्श किया। स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने विचार साझा किए। कई स्थानों पर दर्शकों ने स्वयं आगे आकर यह संकल्प लिया कि वे अपनी दैनिक जीवनशैली और सोच में बदलाव लाएँगे तथा बेटियों और बेटों के बीच भेदभाव की दीवार को तोड़ेंगे।
उल्लिखित है कि विभाग द्वारा 22 सितम्बर 2025 से 26 सितम्बर 2025 के मध्य आयोजित किये गये कार्यक्रमों के माध्यम से कुल 4,01,702 व्यक्तियों को जागरूक किया है जिसमें महिला पुरुष, बालक एवं बालिकायें सभी शामिल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *