” हम हैं बहता पानी बाबा “

मिलती जुलती बातें अपनी, मसला एक रूहानी बाबा,

तुम हो रमता जोगी साधू, हम हैं बहता पानी बाबा !

कठिन तपस्या है यह जीवन , राग- विराग तपोवन है ,

तुम साधक हो हम साधन हैं दुनिया आनी जानी बाबा !

तुमने दुनिया को ठुकराया, हमको दुनिया वालों ने ,

हम दोनों की राह जुदा है, लेकिन एक कहानी बाबा !

धुनी रमाए तुम बैठे हो, हम जलते अंगारों पर ,

तप कर और निखर जाने की, हम दोनों ने ठानी बाबा !

रिश्ते नातों के बंधन से मुक्त हुए तुम भी हम भी ,

अनुभव की बातें हैं अपनी, अधरों पर क्यों लानी बाबा !

— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !

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