अपने घर का नम्बर मिटाया है
और गली के माथे पर लगा
गली का नाम हटाया है ,
और हर सड़क की
दिशा का नाम पोंछ दिया है
पर अगर आपको मुझे ज़रूर पाना है ,
तो हर देश के , हर शहर की ,
हर गली का द्वार खटखटाओ
यह एक शाप है , यह एक वर है
और जहाँ भी,
आज़ाद रूह की झलक पड़े ,
— समझना वह मेरा घर है !
—- प्रसिद्ध साहित्यकार ,अमृता प्रीतम !
( संकलित )
—– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !