दूसरों की तरह
क्यों नहीं जीते हो
इतनी क्यों पीते हो ?
वे बोले—
मैं तो दूसरों से भी
अच्छी तरह जीता हूँ ,
सिर्फ एक पैग पीता हूँ !
एक पैग लेते ही
मैं नया आदमी
हो जाता हूँ ,
फिर बाकी सारी बोतल
उस नये आदमी को ही
पिलाता हूँ !
——– प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर
( संकलित )
——– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !