एक हुतो सो गयो श्याम संग, को अवराधै ईस !
इंद्री शिथिल भई केशव बिनु, ज्यौ देही बिनु सीस !
आसा लागि रहति तन स्वासा, जीवहिं कोटि बरीस् !!
तुम तौ सखा स्याम सुन्दर के , सकल जोग के ईस !
सूर हमारे नंद– नंदन बिनु , और नहीं जगदीस !!
———– भक्त कवि सूरदास
( संकलित )
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !