” तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार “

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

 

आज  सिंधु  ने विष  उगला  है

लहरों  का यौवन   मचला  है

आज  हृदय  में  और  सिंधु  में

साथ  उठा  है   ज्वार

 

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

 

लहरों  के  स्वर  में  कुछ  बोलो

इस अंधड़ मे  साहस    तोलो

कभी– कभी  मिलता  जीवन  में

तूफानों   का    प्यार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

 

सागर  की  अपनी  क्षमता  है

पर  मांझी  भी  कब  थकता  है

जब  तक  सांसों  में स्पंदन  है

उसका  हाथ  नहीं  रुकता  है

इसके ही बल पर कर डाले सातों सागर पार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार  !

——  प्रसिद्ध कवि शिवमंगल  सिंह  ” सुमन  ”

( संकलित  )

 

———–  राम कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !

 

 

 

 

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