शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ !
सागर कहता है
लहराकर
मन में गहराई लाओ !
समझ रहे हो
क्या कहती है
उठ– उठ गिर गिर तरल तरंग !
भर लो , भर लो
अपने मन में
मीठी– मीठी मृदुल उमंग !
धरती कहती
धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार !
नभ कहता है
फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार !
———- प्रसिद्ध कवि सोहन लाल द्विवेदी
( संकलित )
———- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !