” खामोशी “

एक खामोशी  कह  रही  है

दिल  की  सुन  ,  पर  कुछ  तो  सुन

रूठ  कर  ऐसे   जाना,

पर   मनाने  पर  वापस  जरूर  आना

तुझे  जाते  देख  रही  हैं  वो   नज़रे

जिसे  चाहता  तू   , हर  पल

एक  खामोशी  कह  रही  है  कुछ  तो  सुन

वक़्त  की  नई  घड़ी  बाँध  ,

गुज़रे  पलों  को  फ़िर  याद  कर

तेरे  जाने   में  एक  हार  , तो  एक  एहसास  फिर  आने  का  है  ,

गिरते  आंसुओं  की  सरगम  देख

यादों  के  पलों  का  एक  गीत  तो  सुन

वो  भी  ना  सही  पर  एक  खामोशी  कह  रही

कुछ  तो  सुन   !!

( संकलित  )

 

——– राम  कुमार  दीक्षित  , पत्रकार    !

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