” मेरा गीत दीया बन जाए ” ( कुछ अंश )

अंधियारा  जिससे   शरमाए

उजियारा  जिसको  लालचाये

ऐसा  दे  दो  दर्द  मुझे  तुम

मेरा  गीत  दीया  बन  जाए  !

 

इतने  छलकों  अश्रु  थके  हर

राहगीर  के  चरण  धो  संकू

इतना निर्धन  करो  कि  हर

दरवाजे  पर  सर्वस्व  खो  संकू  !

 

ऐसा  दे  दो  दर्द  मुझे  तुम

मेरा  गीत  दीया  बन   जाए   !

 

हंस  दे  मेरा  प्यार  जहाँ

मुसका  दे  मेरी  मानव— ममता

चंदन  हर  मिट्टी  हो  जाए

नंदन  हर  बगिया  बन  जाए  !

 

ऐसा  दे  दो  दर्द  मुझे  तुम

मेरा  गीत  दीया  बन  जाए   !

 

मुझे  श्राप  लग  जाए  , न  दौड़ूं

जो  असहाय  पुकारों  पर  मैं   ,

आँखें  ही  बुझ  जाएं  ,  बेबसी

देखूं  अगर  बहारों  पर   मैं   !

 

टूटे  मेरे  हाथ  न  यदि  यह

उठा  सकें  गिरने  वालों  को

मेरा  गाना  पाप  अगर

मेरे  होते  मानव  मर  जाए  !

 

ऐसा  दे  दो  दर्द  मुझे  तुम

मेरा  गीत  दीया  बन  जाए  !

————- प्रसिद्ध कवि गोपालदास  नीरज

( संकलित  )

———— राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !

 

 

 

 

 

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