चार कदम चलना सीखो !
आकाश न छू सको तो क्या
पंक्षी की तरह उड़ना तो सीखो !
क्या तुम हो उस शिशु से बढ़कर
पंहुचे मंज़िल तक घुटनों के बल चलकर !
क्या तुम हो उस पंक्षी से बढ़कर
बनता जिसका नीड़ उजड़ उजड कर !
सफल न हो सको तो क्या
भाग लेना तो सीखो !
गा न सको तो कुछ बोलो तो सही
तैर न सको तो पानी में भीगो तो सही !
मोती न पा सको तो क्या
सागर में गहरे उतरना तो सीखो !
मंज़िल न पा सको तो क्या
चार कदम चलना तो सीखो !
( संकलित )
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !