कभी अपने लिए नहीं खिलते !
फलो वृक्ष से क्यों कि कभी वे
अपने लिए नहीं फलते !
प्यासे जग की प्यास बुझाने,
बादल जल भर भर लाते हैं !
सीखो उनसे वे कैसे
औरों के हित में मिट जाते हैं !
पर हित के लिए देह ,
धारण करते हैं सज्जन प्राणी !
वृक्ष स्वयं न कभी फल खाते,
नदियाँ स्वयं न पीती पानी !
जंगल मंगल हित जीने वालो
का मस्तक ऊँचा रहता है !
दीपक की स्वर्णिम लौ का रुख ,
कभी नहीं नीचे झुकता है !
( संकलित )
———– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !