” अपना काम स्वयं करने की आदत डालनी ही चाहिए “

अब यह बात धीरे– धीरे सभी को समझ में आने लगी है कि घरों में काम करने वाले कर्मचारी कम होते जा रहे हैं  ! कुछ कर्मचारी यदि मिलते भी हैं और काम भी करते हैं लेकिन निर्धारित मापदंड के अनुसार काम नहीं करते हैं  , बल्कि अपनी शर्तों के अनुसार काम करते हैं  ! यह ठीक है लेकिन वह जिस घर में काम करते हैं  , उस घर को अपना समझ कर काम तो करें  !

पिछले दिनों एक सज्जन बता रहे थे कि घरेलू कर्मचारी दो मंजिला मकान में काम करने से मना कर देते हैं कि कौन बार– बार ऊपर– नीचे जाए  ! अब यह बहुत बड़ा दर्शन शास्त्र है  ! कभी– कभी हम लोग इसी तरह से हो जाते हैं  स्वभाव के कारण  ! बाहर कुछ और अन्दर कुछ  ! यदि मालिक खुद दोहरे चरित्र का हो और वह घरेलू कर्मचारी से यह उम्मीद करे कि कर्मचारी हमारी भरपूर सेवा करे तो यह कैसे सम्भव हो सकता है  ! घरेलू कर्मचारी भी अपने मालिक को पहचान लेता है कि मालिक का व्यवहार कैसा है  !

घरेलू कर्मचारियों के भी दो वर्ग हैं  ! एक मंथरा का और दूसरा पन्नाधाय  का  ! सब को पता है कि मंथरा ने एक घर उजाड़ दिया और पन्नाधाय  ने वंश को आगे चलाया  ! अब इन दो तरह के स्वभाव वाले कर्मचारियों से काम लेने की कला तो आनी ही चाहिए  ! विशेष रूप से एक काम तो यह किया जा सकता है कि जहाँ तक और जितना काम सम्भव हो, उतना और वह काम हम स्वयं करने की आदत डालें और काम करें  ! दूसरों पर निर्भरता जितनी कम होगी  , उतना ही सुखद की अनुभूति होगी  !

घरों में काम करने वाले कर्मचारी भी मनुष्य होते हैं  , इसलिए हमें भी उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए  ! उनका भी परिवार होता है  ! उनकी भी अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियां होती हैं  ! इसलिए घर में काम करने वाले कर्मचारी को भी  यथोचित् सम्मान और आदर देना चाहिए  ! जब उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जायेगा तो वह भी मन लगाकर काम करेंगे  ! घरों में काम करने वाले कर्मचारियों को उनका निर्धारित वेतन निश्चित तारीख को अवश्य ही दे देना चाहिए  !  ऐसा व्यवहार करने से कर्मचारी भी मालिक के परिवार का हिस्सा बन जाता है और मन लगाकर काम करता है  !

 

———– राम कुमार दीक्षित  , पत्रकार    !