” सभी भारतीय का मन प्रायः अनुशासन प्रिय है “

दुनिया का सबसे बड़ा न्यायाधीश तो है, लेकिन वह दिखता नहीं है  ! उसका न्यायालय अदृश्य है  , पर बहुत जीवंत है  ! वहाँ न देर है और न अंधेर है  ! हमको जो भी देर दिखती है, वह असल में हमारे मन पसंद काम के हमारे समय से ना होने पर दिखती है  !

ऊपर वाले परमात्मा का हिसाब बिलकुल साफ है  ! वह जो सर्वोच्च सत्ता है  , उसने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से भक्तों की सर्वोच्च इच्छा को पूर्ण किया है  ! एक आम भारतीय का मन अनुशासन प्रिय है  ! मूल रूप से हम लोग ईमानदार हैं  !

इस कारण से ही जब सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया तो प्रत्येक रामभक्त इसलिए प्रसन्न था कि सब कुछ बहुत शालीनता, गोपनीयता, अनुशासन प्रियता से पूरा हुआ  ! श्री राम बिल्कुल ऐसे ही हैं  ! श्री राम जितने सत्य पराक्रमी हैं, उतने ही महात्मा भी हैं  ! श्री राम इसलिए लोकाभिराम हैं कि वह चाहते हैं कि मुझसे जुड़ा हर काम शांत और प्रसन्नचित्त होकर पूरा किया जाए  ! इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने जो राम मन्दिर निर्माण का  निर्णय दिया है  , श्री राम उसकी स्वीकृति देते हैं  ! न्याय की जीत ऐसी ही होती है  ! जब भी इसका इतिहास लिखा जायेगा तब  22 जनवरी को भी हमेशा याद किया जायेगा   क्यों कि 22 जनवरी को भगवान् श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है  !

 

      ———–  राम कुमार दीक्षित, पत्रकार ,पुणे !