” दीवाली के पटाखे “

दगते  धूम—— धड़ाम   पटाखे  !

 

अरे  संभलकर  इन्हें  जलाओ  ,

जल  जाएं  तो  पास  न   जाओ   !

भैया   हमको  यह  समझाएं  ,

रहो  सुरक्षित  ,  मौज  मनाओ   !

 

बरती  अगर  सावधानी  तो

खुशियों  का  पैगाम   पटाखे  !

 

शोर  मचाते  बच्चे   सारे  ,

धूम—- धडाका  खूब  मचा  रे  !

दगे  पटाखे  ,  बजे  तालियाँ  ,

छूटे  खुशियों  के  फव्वारे  !

 

हंसी—- खुशी  से  भरे  लबालब  ,

बाँट  रहे  इनाम  पटाखे   !

 

ज्यादा  जो  जल  गए  पटाखे  ,

फैले  चारों  तरफ  धमाके  !

और  प्रदूषण  फैलेगा  तब  ,

इसे  चलाओ  जरा  बचाके  !

 

ध्यान  रहे  इन  बातों  का  भी  ,

कहीं  न  हों  बदनाम  पटाखे   !

( संकलित  )

 

          ——— राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !