आज की दुनिया भौतिक युग में जी रही है ! आजकल रिश्तों की जगह पैसा हावी होता जा रहा है ! अब तो माता– पिता और बच्चों के बीच भी कोर्ट को दखल देना पड़ रहा है !
हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट का एक फैसला आया है, जो खून के रिश्तों पर सवाल खड़ा करने वाला है ! कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बुजुर्गों की देखभाल करना उनके बच्चों की जिम्मेदारी है ! कोर्ट ने कहा है कि बच्चे अपने मां– बाप को भोजन के साथ उचित सम्मान भी दें
कोर्ट के इस फैसले को व्यापक अर्थ में समझने की जरूरत है ! संवेदनशील मानसिकता से ही समाज का माहौल बदल सकता है ! ऐसा भी नहीं है कि सभी बच्चे अपने मां– बाप की उपेक्षा करते हैं, लेकिन हमारे आस– पास ऐसे मामले बढ़ते हुए जरूर दिखने लगे हैं !
बच्चों को यह समझना जरूरी है कि उम्र के जिस पड़ाव से आज उनके माँ– बाप गुजर रहे हैं , कल उन्हें भी गुजरना है ! जब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगता है, तब ही कोर्ट को ऐसे फैसले देने को मजबूर होना पड़ता है !
” वसुधैव कुटुंबकम ” का संदेश देने वाला हमारा देश है ! ऐसे विलक्षण विचार को जन्म देने वाले देश में यदि बच्चे अपने माँ– बाप की देखभाल से बचने लगें और उनका अपमान करने लगें, तो चिन्ता होना स्वाभाविक है ! आजकल के ” एकल ” परिवारों के कारण ही यह समस्या बढ़ी है ! समस्या की आंड में अपनी जिम्मेदारी से बचने वाले खुद के लिए ही मुश्किल खड़ी कर लेते हैं ! हालात चाहे कुछ भी हों, माता–पिता की जिम्मेदारी का एहसास बच्चों को होना ही चाहिए !
———- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार , पुणे !