बीरबल गुजराती भू-माफिया , गैंगस्टर को गिरफ्तार करने से क्यों कतरा रही हैं गंगाघाट पुलिस

गंगाघाट ( उन्नाव)। गंगाघाट थानांतर्गत निकाय चुनाव के प्रथम चरण चार मई को बीरबल गुजराती एवं उसके दर्जनों साथियों ने मिलकर वार्ड संख्या नौ से सभासद प्रत्याशी रहीं साधना निषाद एवं उनके समर्थकों को रास्ते में रोककर जानलेवा हमला किया। जिसमें दो लोगों को गंभीर चोटें आई। जिनका इलाज कानपुर के हैलट अस्पताल में कराया गया। जिनके मेडिकल रिपोर्ट में भी गंभीर चोटों का जिक्र किया गया है। उसके बावजूद भी गंगाघाट कोतवाल अवनीश कुमार ने एक तरफा कार्यवाही करते हुए आनन फानन में साधना निषाद के पति सहित दस नामजद एवं दस से पंद्रह अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर तुरंत जेल भेज दिया गया जबकि पीड़िता साधना निषाद की प्रथम सूचना रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई थी।

साधना निषाद ने बताया कि उन्हें बीरबल गुजराती गंगाघाट थानाध्यक्ष के सामने गंदी गंदी गालियां देता रहा और उनके पति की हत्या करवाने की धमकी भी दी लेकिन गंगाघाट थानाध्यक्ष ने बीरबल गुजराती एवं उसके साथियों को रोकने के बजाय हंसते रहे। पीड़िता ने बताया कि जबकि बीरबल गुजराती ने उन्हें पटककर उनके साथ मारपीट की तथा उनके कपड़े भी फ़ाड़ दिए। इसके बाद भी गंगाघाट थानाध्यक्ष ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की। पीड़िता ने बताया कि जब उन्होंने शासन स्तर पर गुहार लगाई तब उनकी रिपोर्ट दर्ज की गई है। वह भी हल्की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर पल्ला झाड़ लिया गया है। जबकि गम्भीर चोटों को देखते हुए तथा मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ३०७ धारा अन्तर्गत मुकदमा दर्ज होना चाहिए था।

बीरबल गुजराती समेत पन्द्रह नामजद एवं छः अज्ञात पर मुकदमा १७ मयी को दर्ज किया गया लेकिन गंगाघाट पुलिस ने अभी तक एक भी आरोपियों को गिरफतार नहीं किया गया है। जबकि आरोपी पीड़िता को अभी भी धमका रहा है।

पीड़िता ने शासन स्तर पर गुहार लगाई है कि बीरबल गुजराती एवं उसके सहयोगी उसकी एवं उसके परिवार की कभी भी जीवन हत्या करवा सकते हैं इसके बावजूद उन्नाव पुलिस प्रशासन भूमाफिया, गैंगस्टर जैसे गम्भीर अपराधी को गिरफ्तार करने से क्यों कतरा रही हैं? यह एक यक्ष प्रश्न है?

आखिर उन्नाव पुलिस किसके दबाव में है कि आरोपियों को गिरफतार करने से बच रही है?

जबकि पीड़िता साढ़े छः सौ मतों से सभासद निर्वाचित हुई है उसके बावजूद पुलिस उसकी फरियाद क्यों नहीं सुन रहीं हैं?