एक बार एक जोकर सर्कस लोगों को एक चुटकला सुना रहा था ! चुटकला सुनकर लोग खूब जोर–जोर से हँसने लगे ! कुछ देर बाद जोकर ने वही चुटकला दुबारा सुनाया ! अबकी बार कम लोग हँसे ! थोड़ा और समय बीतने के बाद तीसरी बार भी जोकर ने वही चुटकला सुनाना शुरू किया ! पर इससे पहले की बात खत्म करता, बीच में ही एक दर्शक बोला, ” अरे, ! कितनी बार एक ही चुटकला सुनाओगे ? कुछ और सुनाओ, अब इस पर हँसी नहीं आती ! ”
जोकर थोड़ा गंभीर होते हुए बोला , ” धन्यवाद भाई साहब, यही तो मैं भी कहना चाहता हूँ —- जब खुशी के एक कारण की वजह से आप लोग बार– बार खुश नहीं हो सकते तो दुःख के एक कारण से बार– बार दुःखी क्यों होते हो ,? हमारे जीवन में अधिक दुःख और कम खुशी का यही कारण है ! हमलोग ख़ुशी को आसानी से छोड़ देते हैं, पर दुःख को पकड़ कर बैठे रहते हैं ! इससे यही शिक्षा मिलती है कि जीवन में सुख और दुःख का आना– जाना लगा रहता है लेकिन जिस तरह एक ही ख़ुशी को हम बार बार नहीं महसूस करना चाहते ! उसी प्रकार हमें एक ही दुःख से बार– बार दुःख को महसूस नहीं करना चाहिए ! जीवन में हम हम अपने लक्ष्य तक तभी पहुँच पाते हैं, जब हम दुखों को भूलकर निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं !
राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !