होठों से छूलो तुम, मेरा गीत अमर कर दो,
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो !
ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हा बंधन ,
जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन ,
नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो !
होठों से छूलो तुम, मेरा गीत अमर कर दो !
आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में ,
पायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन में ,
सांसें देकर अपनी, संगीत अमर कर दो !
होठों से छूलो तुम, मेरा गीत अमर कर दो !
यह गीत फिल्म ” प्रेम गीत ” के लिए गीतकार इंदीवर जी ने लिखा था ! वह तो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके लिखे गाने आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं ! इंदीवर जी कवि, गीतकार के साथ साथ बहुत ही प्यारे इंसान थे ! बहुत मिलनसार व्यक्ति थे ! जब मुझे एक फिल्म में गाना लिखने का मौका मिला तो मैं मुंबई गया ! वहाँ पर काम के साथ– साथ मैं बहुत लोगों से मिला जो फिल्म इंडस्ट्री के थे ! एक दिन सवेरे करीब 10 बजे मैं कार्टर रोड बांद्रा के एक अपार्टमेंट में पहुंचकर इंदीवर जी के फ्लैट की घंटी बजाई ! एक काम करने वाली बाई निकली ! मैंने पूँछा ,इंदीवर जी हैं ? मुझे उनसे मिलना है ! उसने बोला, हाँ हैं ! मैंने उसको अपना कार्ड दिया कि साहब को देना ! उसने कार्ड ले लिया और अन्दर गई और बिना देरी किये , मुझे आकर बोला, आइये , आपको अन्दर बुला रहे हैं !
मैं अन्दर गया ! वह नाश्ता करने जा रहे थे ! बोला, आओ , यार तुम भी नाश्ता करो ! मैंने संकोचवश मना किया लेकिन उन्होंने कहा, नहीं– नहीं आओ बैठो ! मैं उनसे पहली बार मिला था लेकिन ऐसा लगा, जैसे वह बहुत पहले से मुझे जानते हों ! नाश्ता हो गया ! उनकी पत्नी भी बहुत व्यवहार कुशल ! मज़ाकिया अंदाज़ में मुझसे बोली— भाई साहब, आपको इस घर में कविता के अलावा कुछ नहीं मिलेगा ! ये जितनी आलमारी आप देख रहे हैं , सब में कविता जी बैठी हुई हैं ! मैं भी मुस्कराया और वह भी मुस्कराकर अन्दर चली गयीं !
इंदीवर जी को मैंने मुंबई आने का अपना कारण बताया ! वह बोले, बहुत धैर्य रखना ! यहाँ बहुत संघर्ष है ! फिर उन्होंने अपनी पूरी कहानी बताई ! अपना कार्ड भी उन्होंने दिया और बोले, कभी कोई ज़रूरत हो तो फोन करना ! जब मैं चलने लगा तो फिर बोले– यहाँ कोई किसी का नहीं है ! बस धैर्य बनाये रखना ! समय ठीक होने पर, यहाँ हर कोई पूंछने लगता है ! मुझे म्युजिक डायरेक्टर से मिलने माहिम जाना था , इसलिए उनको धन्यवाद देते हुए बिल्डिंग से बाहर निकल आया ! ऐसे नेकदिल इंसान थे इंदीवर जी !
——– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !