कुछ नवीन कर डालें !
ऊंच– नीच, निर्बल सबको हम,
अपने गले लगा लें !
जिनके पास नहीं कुछ भी है,
उनको भी हम रंग दें !
मित्र बना करके उन सबको,
हम टोली का संग दें !
खाते नहीं मिठाई, गुझिया,
कुछ उनको भी बांटे !
प्रेम प्रीत का सबक सिखायें,
न दुत्कारे— डांटे !
यह संदेश पर्व होली का,
द्वार– द्वार पहुँचायें !
जीवन जिये सदा परहित में
वह महान कहलाये !!
( साभार )
राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !