” चलो दूर तक अजनबी रास्तों पर पैदल चलें “

अजनबी रास्तों पर पैदल चलें कुछ न कहें अपनी– अपनी तन्हाइयाँ लिए सवालों के दायरे से निकलकर रिवाज़ों की सरहदों के परे हम यूँ ही…

View More ” चलो दूर तक अजनबी रास्तों पर पैदल चलें “

” कवि रसखान का श्रीकृष्ण प्रेम “

या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिंहु पुर को तजि डारौं! आठहुँ सिद्धि, नवो निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं !! रसखान कबौं…

View More ” कवि रसखान का श्रीकृष्ण प्रेम “

” वो लोग बहुत प्यार करने वाले थे “

वो  लोग  मेरे  बहुत  प्यार  करने  वाले   थे गुज़र गए हैं  जो  मौसम  गुजरने  वाले  थे   नई रुतों  में  दुखों  के  भी सिलसिले  हैं …

View More ” वो लोग बहुत प्यार करने वाले थे “